प्राचीन इतिहास, मानव इतिहास का वह काल है जो लेखन प्रणाली के विकास से लेकर प्राचीन काल के अंत तक फैला हुआ है। इस काल में आदि मानव काल, सिंधु घाटी सभ्यता, वैदिक काल, मगध साम्राज्य - बृहद्रथ वंश, हर्यक वंश, शिशुनाग वंश, नंदवंश, मौर्य साम्राज्य, शुंग वंश, कण्व वंश, सातवाहन वंश, यूनानी शाशक – (Indo-Greek/ हिंद यवन , शक वंश, पार्थियन वंश, कुषाण वंश), गुप्त साम्राज्य, वर्धन साम्राज्य और कई अन्य महत्वपूर्ण घटनाएं शामिल हैं।
प्राचीन इतिहास को आमतौर पर तीन युगों में विभाजित किया जाता है: पाषाण युग, कांस्य युग और लौह युग। जिसे प्रागैतिहासिक काल, आद्य ऐतिहासिक काल और ऐतिहासिक काल में रखा गया है। पाषाण युग प्रागैतिहासिक काल और कांस्य एवम् लौह युग आद्यऐतिहासिक काल का भाग है।
1. सिंधु घाटी सभ्यता:
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यह 2500 से 1750 ईसा पूर्व तक फली-फूली, और यह भारत की सबसे पुरानी शहरी सभ्यताओं में से एक थी।
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आद्य-ऐतिहासिक काल की सभ्यता कहि जाती है।
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हड़प्पा और मोहनजोदड़ो इसके प्रमुख शहर थे, जो अपनी सुनियोजित सड़कों, पक्की ईंटों के घरों और उन्नत जल निकासी प्रणाली के लिए जाने जाते थे।
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सिंधु घाटी सभ्यता के लोग कृषि, व्यापार और धातु विज्ञान में कुशल थे।
2. वैदिक काल:
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यह 1500 से 600 ईसा पूर्व तक का काल है, जब वेदों की रचना हुई थी।
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यह काल आर्यों के आगमन और भारतीय संस्कृति और धर्म के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
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वैदिक साहित्य, जैसे ऋग्वेद, हमें उस समय के सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक जीवन के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
3. मौर्य साम्राज्य:
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यह 322 से 185 ईसा पूर्व तक का काल था, जब चंद्रगुप्त मौर्य ने मगध में एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की थी।
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अशोक महान, मौर्य साम्राज्य के सबसे प्रसिद्ध शासकों में से एक थे, जिन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाया और इसे पूरे उपमहाद्वीप में फैलाया।
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मौर्य साम्राज्य अपने प्रशासनिक और सैन्य संगठन के लिए भी जाना जाता था।
4. गुप्त साम्राज्य:
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यह 320 से 550 ईस्वी तक का काल था, जिसे भारत के "स्वर्ण युग" के रूप में जाना जाता है।
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गुप्त शासकों ने कला, साहित्य, विज्ञान और गणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
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इस काल में आर्यभट्ट, वराहमिहिर और कालिदास जैसे महान विद्वान हुए।
प्राचीन भारत की कहानियां हमें अपने अतीत को समझने और अपनी संस्कृति और विरासत पर गर्व करने में मदद करती हैं।

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